अक्षय तृतीया जानें क्यों है खास

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10 मई 2024, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, अक्षय तृतीया पर सुकर्मा योग होगा। दिन भर यह योग बनाया जाता है, दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से। रवि योग भी होगा।
अक्षय तृतीया 2024 वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। सूर्य और चंद्रमा इस दिन अपनी उच्च राशि में होते हैं, जो शुभ संकेत देते हैं। इन दोनों की संयुक्त कृपा अनंत लाभ देती है। अक्षय तृतीया पर दान-पुण्य करना और मूल्यवान वस्तुओं की खरीद भी शुभ मानी जाती है। विशेष रूप से आज सोना खरीदना सबसे अच्छा है। इससे धन की प्राप्ति और दान दोनों अक्षय रहते हैं। आज देश भर में अक्षय तृतीया का त्योहार भारी उत्साह से मनाया जा रहा है।
विवाह-मांगलिक कार्यक्रम नहीं होंगे ज्योतिषाचार्य पं.मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि अक्षय तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त है, इसलिए विवाह, मुंडन, घर प्रवेश आदि शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। अक्षय तृतीया के दिन गुरु और शुक्र अस्त होते हैं, इसलिए विवाह जैसे मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा. यह कई वर्षों से ऐसा संयोग बन रहा है।
10 मई 2024, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, अक्षय तृतीया पर सुकर्मा योग होगा। दिन भर यह योग बनाया जाता है, दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से। रवि योग भी होगा। आप इस दिन सुबह 5 बजे 33 मिनट से 10 बजे 37 मिनट तक खरीददारी कर सकते हैं। दोपहर 12 बजे 18 मिनट से 1 बजे 59 मिनट तक सोना, चांदी, वाहन और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने का अच्छा समय है। जबकि संध्याकाल में 09:40 से 10:59 तक शुभ समय है।

अक्षय तृतीया का महत्व

कई कारणों से अक्षय तृतीया को वर्ष का सबसे शुभ दिन माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया ने सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने नरनारायण का अवतार भी लिया था। भगवान परशुराम भी अक्षय तृतीया को जन्मे थे। यह शुभ तिथि थी जब भगवान गणेश ने महाभारत लिखना शुरू किया था। यही नहीं, केवल अक्षय तृतीया को वृन्दावन में भगवान बांके-बिहारी जी के चरणों का दर्शन होता है और बद्रीनाथ के कपाट भी खुलते हैं।
कहते हैं कि इसी दिन मां गंगा विष्णु के चरणों से धरती पर आई थीं। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को आखा तीज भी कहा जाता है। यह अक्षय तीज भी कहलाता है। अक्षय तृतीया बसंत का अंत और ग्रीष्म ऋतु का आरंभ है। इसलिए इस दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड़, सकोरे, पंखे खड़ाऊं, छाता, सत्तू, तरबूज ककड़ी और अन्य गर्मी में फायदेमंद सामग्री दान की जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करके माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को पूजना जाता है। नैवेद्य में चने की दाल, ककड़ी और जौ का सत्तू अर्पित किया जाता है।

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