राजस्थान की अमर प्रेम कहानी :मूमल और महेंद्र

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राजस्थान की अमर प्रेम कहानी : मूमल और महेंद्र

राजस्थान के इतिहास के पन्नों में अनेक प्रेम कथाओं का वर्णन मिलता है लेकिन महेंद्र और मूमल कि वह सच्ची प्रेमकहानी कुछ अलग ही है जिसको पढ़कर कई दिनों तक इस कहानी को आप भूल नहीं पाओगे यह कहानी राजस्थानी नहीं पूरे भारत में वर्णित प्रेम कहानियों में से सबसे अधिक प्रसिद्ध कहानी है इस कहानी की शुरुआत होती है राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में बसे अमरकोट से जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है राजकुमार महेंद्र जो बड़ा ही पराक्रमी राजा होने के साथ दिखने में ऊंची लंबी कद काति का सुंदर राजकुमार था जिसके चेहरे पर सुंदरता का एक अलग ही तेज था और इसी सुंदरता ने शायद इस कहानी को जन्म दिया जो इतनी दुखदाई थी कि इसके के बारे में लिखते वक्त शायद इतिहासकारो के भी हाथ कापे होंगे एक दिन महेंद्र अपने बहनोई हमीर जडेजा जो गुजरात का शासक था उसके साथ शिकार पड़ जाता है लेकिन महेंद्र ने ध्यान रखा था कि वह आज खरगोश का शिकार करेंगे तो इस खरगोश की तलाश में महेंद्र और उसका बहनोई अमीर जडेजा निकल पड़ते हैं अपने क्षेत्र में शिकार की तलाश करते हैं लेकिन उन्हें खरगोश कहीं पर भी नहीं मिलता है लेकिन महेंद्र ने ठान रखा था लेकिन खरगोश अभी नहीं मिलता है इसलिए वह खरगोश की तलाश करते-करते अपने क्षेत्र से बहुत दूर निकल जाते हैं
राजस्थान के जैसलमेर तक पहुंच जाते हैं तभी अचानक महेंद्र के बहनोई हमीर की नजर पड़ती है एक खरगोश पर और महेंद्र जैसे उसे खरगोश का शिकार करने वाला था कि अचानक ही खरगोश वहां से भाग पड़ता है और महेंद्र और हमीर खरगोश का पीछा करते-करते राजस्थान के जैसलमेर के लोक दरबार के पास काक नदी पर पहुंच जाते हैं पर खरगोश काक नदी में कूद जाता है और शिकार उन दोनों के हाथ से निकल जाता है और महेंद्र और हमीर थक हार कर उसे नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं तो हमीर महेंद्र से कहता है वह अपने क्षेत्र से बहुत दूर निकल आए हैं तो अब उन्हें यहीं पर अपने खान-पान की व्यवस्था करनी पड़ेगी तभी महेंद्र और अमीर अपने आसपास कोई ठहरने की जगह ढूंढने लगते हैं कुछ दूर उन्हे खूबसूरत महल दिखाई देता है और वह दोनों नदी पार कर उसे महल तक पहुंच जाते हैं वह महल और किसी का नहीं बल्कि बाकी राजकुमारी मूमल का था जिसकी खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक के क्षेत्र में पहले से थे वह इस महल के पास पहुंचते हैं तो देखते हैं कि महल गुलाब के फूलों से सजा पड़ा था वह इमारत चारों तरफ पहरेदार आसपास सेवक सेविकाएं खड़ी है इसके बाद महेंद्र महल के सेवकों को अपना परिचय देता है और बताता है कि वह अमरकोट का राजकुमार महेंद्र है और यह गुजरात के शासक हमीर जडेजा है हम शिकार के लिए आए थे लेकिन रास्ता भटक गए हैं और अब हम आपके यहां रुक कर खान-पान और विश्राम करना चाहते हैं और उसके बाद उन्हें महल के अंदर ले जाते हैं और उनका खूब सत्कार किया जाता है उनकी विश्राम की और खान-पान की व्यवस्था की जाती है अब महेंद्र और अमीर भोजन करने के पश्चात वहां से अमरकोट करवाना होने की तैयारी करते हैं लेकिन जैसे ही वह जाने लगते हैं तो एक सेवक राजकुमारी का संदेश लेकर उनके पास पहुंचता है और कहता है की राजकुमारी मूमल आपसे मिलना चाहती है लेकिन एक साथ नहीं अलग-अलग
राजकुमार महेंद्र अपने बहनोई हमीर से कहता है कि आप बड़े हो तो राजकुमारी से मिलने पहले आप जाइए हमीर राजकुमारी से मिलने के लिए उस कक्ष की ओर जाने लगता है जिस कक्ष में मूमल रहती है लेकिन हमीर उस कक्ष में जाने वाले कलियर में प्रवेश करता है तो हमीर को कक्ष का रास्ता बड़ा हीखतरनाक लगता है तो वह देखता है कि सामने उसे रास्ते पर बाघ, शेर और मगरमच्छ जैसे अनेक खतरनाक जानवर थे और यह देखते ही हमें तुरंत ही वापस मुड़ जाता है और आकर महेंद्र को बताता है कि यह कैसी विचित्र महिला है जिसने अपने पहरेदार के रूप में खतरनाक जानवरों को रख रखा है

यह सुनते ही तुरंत महेंद्र कहता है कि मैं जाऊंगा उसे राजकुमारी से मिलने जिसने अपनी सुरक्षा के लिए इन खतरनाक जानवरों को रखा हुआ है और इतना कहकर महेंद्र हाथ में तलवार लिए राजकुमारी मूमल की कक्ष की ओर जाने लगता है और वह जैसे कक्ष के पास पहुंचा तो सामने एक शेर को देखा है और अपनी तलवार से उसे शेर की गर्दन घड़ से अलग कर देता है और गर्दन अलग होते ही महेंद्र को पता चलता है यह सब असली नहीं बल्कि मॉम के हैं लेकिन देखने पर असली प्रतीत होते हैं और उसके बाद महेंद्र राजकुमारी मूमल के कक्षा तक पहुंच जाता है और वह जैसी कक्ष में प्रवेश करता है तो सामने का मंजर देखकर महेंद्र की नजरे ठहर जाती है वह सामने देखा है कि एक सुंदर कन्या जिसकी आंखें हिरनी जैसी जिसके लंबे बाल जिसका चेहरा शरद रात्रि के पूर्णिमा के चांद जैसा कन्या महेंद्र की प्रतीक्षा में उसके सामने खड़ी थी और यह कन्या कोई साधारण कन्या नहीं बल्कि लोद्रवा की राजकुमारी मूमल थी जिसकी सुंदरता का बखान दुर – दुर तक था मूमल इतनी आकर्षित थी कि महेंद्र उस पर घायल हो जाता है राजकुमारी मूमल भी इस ऊंची करघाटी के सुंदर नवयुग को देखकर उसे आकर्षित हो जाती है और पहले ही मुलाकात में दोनों को आपस में प्रेम हो जाता है

इसके बाद मूमल और महेंद्र बातें करने लगते हैं और मूमल और महेंद्र बातों में इतना खो जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि कब रात बीत गई और अब अगली सुबह जब महेंद्र राजकुमारी मूमल से अमरकोट जाने की इजाजत मांगता है तो मूमल महेंद्र को रोकते हैं और महेंद्र के सामने अपने विवाह का प्रस्ताव रख देती है और इतना सुनते ही महेंद्र कहता है कि वह इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकता है क्योंकि महेंद्र के पहले से 6 रानिया है लेकिन अब भी दोनों एक दूसरे से बिछड़ना नहीं चाहते थे तो मूमल महेंद्र से कहती है कि आप एक शर्त पर यहां से जा सकते हो और मूमल ने शर्त रखी की आपको हर रोज मुझे मिलने आना होगा
तो मैं इधर राजकुमारी मूमल की यह शर्त स्वीकार कर ली और शर्ट को स्वीकार करके हमीर जडेजा के साथ अमरकोट के लिए रवाना हो जाता है लेकिन अमरकोट आने के पश्चात महेंद्र को हर जगह राजकुमारी मूमल ही दिखाई दे रही थी लेकिन उसे अंदर ही अंदर एक चिंता भी सता रही थी कि आखिर कैसे वह हर रोज इतने कम समय में अमरकोट से लोद्रवा सो मिल की दूरी तय करेगा लेकिन उसने राजकुमारी मूमल को वचन दे दिया था तो उसे वचन को भी नहीं तोड़ सकता था और इसी चिंता के साथ में पहुंच जाता है एक ऊंट पालक के पास और उससे कहता है कि क्या कोई ऐसा ऊंट है जो शाम डालने के बाद उसे जैसलमेर से लोद्रवा पहुंचा दे और सुबह होने से पहले वापस अमरकोट छोड़ दे इस बात पर ऊंट पालक राजकुमार महेंद्र को अपना सबसे तेज चलने वाला शीतल नामक ऊंट दे देता है और राजकुमार उस पर सवार होकर रोज रात महेंद्र मूमल के पास मिलने जाता और सुबह होते ही वापस अमरकोट पहुंच जाता और लगभग 8 महीने तक ऐसा ही सिलसिला चलता रहा रोज रात महेंद्र मूमल के पास जाता और सुबह होने से पहले ही अमरकोट पहुंच जाता और अपने कक्ष में बिना किसी को बताए जाकर सो जाता अब दोस्तों
धीरे-धीरे महेंद्र की सभी रानियां को शक होने लगता है तो एक दिन सभी रानियां मिलकर सबसे छोटी रानी के पास जाती है और महेंद्र के हर रात गायब होने का कारण पूछता है क्योंकि महेंद्र पिछले 8 महीने से अपनी रानियां को समय नहीं दे पा रहा था और इसी बात ने उन रानियां को शक पैदा कर दिया था और वह सभी रानियां जैसे छोटी रानी के पास पहुंचती है तो छोटी रानी कहती है कि इस नहीं पता कि आखिर महेंद्र रात को जाता कहां है वह हर रात गायब रहकर सुबह आकर अपने कक्ष में सो जाता है तो अब इसी चिंता के साथ महेंद्र के सभी रानियां मिलकर अपनी सास के पास जाती है और उन्हें सारी घटना से अवगत करवाती है तो महेंद्र की मां छोटी रानी से पूछता है कि महेंद्र जब घर आता है तो कैसी हालत में होता है तो छोटी रानी बताती है कि महेंद्र पूरी तरह भीग होता है और सुबह जल्दी आकर कक्ष में सो जाता है और इसी बात पर महेंद्र की मां छोटी रानी को कहती है कि अब जो महेंद्र भीगा हुआ आए तो एक बार उसके बालों पर चिपका पानी मुझे लाकर दिखाएं और छोटी रानी वैसा ही करती है महेंद्र के बालों से टपका पानी एक बर्तन में इकट्ठा कर अपने सास को दिखाती है और महेंद्र की मां जैसे उसे पानी से पता लगाती है कि यह पानी तो काक नदी का है बस महेंद्र की मां को सब समझ में आ जाता है कि उसका बेटा रोज रात उसे क्षेत्र की सबसे खूबसूरत राजकुमारी मूमल के पास जाता है जिसका महल का नदी के किनारे है महेंद्र की रानियां को पता चलता है तो वह महेंद्र को मूमल से मिलने से रोकने के लिए एक तरकीब करती है और वह उसे ऊंट को जहर दे देती है ताकि महेंद्र लोद्रवा मूमल के पास में न जा पाए
अगले दिन महेंद्र देखता है कि उसका ऊंट चीतल मरा पड़ा है और यह देखकर महेंद्र चिंतित होता है और वह सच में पड़ जाता है कि अब वह मूमल के पास हर रोज कैसे जाएगा और इसी चिंता के साथ एक बार फिर वह इस ऊंट पालक के पास जाता है और वह पालक के पास जाकर शीतल जैसे ही ऊंट की माँग करता है जो उसे शीतल की भांति को लोद्रवा पहुंचा दे और उसी रात वापस उसे अमरकोट पहुंचा दे और यह सुनकर उस पालक महेंद्र से शीतल जैसा ही तो नहीं पर इसकी जैसी रफ्तार वाली ऊंटनी के बारे में बताता है जो उसे उसी रफ्तार के साथ को लोद्रवा पहुंच कर एक ही रात में वापस अमरकोट ले आएगी लेकिन एक बात का ध्यान रखिएगा कि अगर गलती से भी इस पर वार कर दिया तो यह आपको रेगिस्तान में लटका सकती है तो

महेंद्र ऊंटनी को ले जाता है और उसी रात उस पर सवार होकर अमरकोट से लोद्रवा के लिए निकल पड़ता है लेकिन महेंद्र मूमल से मिलने की जल्दबाजी में गलती से उस ऊंटनी पर वार कर देता है और वार करते ही ऊंटनी उसे रास्ते से भटका देता है लेकिन अगर लोद्रवा के महल में मूमल अपनी सखियों के साथ बेटी महेंद्र का इंतज़ार कर रही थी तो मूमल की बहन सुमन अपनी बहन का मन बहलाने के लिए पुरुष का रूप धारण कर लेती है और दोनों बहने खेलते खेलते एक साथ सो जाती है वह इसी वेश में अपनी बहन मूमल के साथ सो जाती है

लेकिन महेंद्र को देर हो जाती है वह सुबह के लगभग चार से पांच बजे पहुंचता है और सीधे मूमल में के कक्ष की ओर जाता है और वह सामने का मंजर देखकर हक्का बक्का रह जाता है की राजकुमारी मूमल किसी पुरुष के साथ सो रही थी और यह दृश्य देखकर महेंद्र के हाथ में से चाबुक वही दरवाजे पर गिर जाता है लेकिन मूमल के साथ पुरुष नहीं बल्कि पुरुष का बेस धारण किया उसकी बहन सुमन सो रही थी लेकिन महेंद्र को कहां पता था कि यह तो उसकी बहन सुमन है दरवाजे के पास खड़ा यह दृश्य देखकर बहुत दुखी होता है और अब वह पूरी तरह से टूट गया था और तुरंत से बिना मुलाकात किए अमरकोट की ओर रवाना हो जाता है और सुबह जब मूमल उटती है तो वह अपने कक्ष के बाहर महेंद्र का चाबुक देखती है और अचानक चौंकती है कि रात को महेंद्र आया तो था लेकिन बिना मिले वापस कैसे चला गया तो मूमल को लगा रात शायद महेंद्र सुमन को पुरुष समझ बैठा था जिस वजह से शायद वह नाराज होकर उससे मिले बीना चला गया और अभी इधर अमरकोट पहुंचने के बाद महेंद्र के मन में मूमल के प्रति भावना पैदा हो गई पर जितना मूमल से प्रेम करता था उतनी ही नफरत करने लगा था
धीरे-धीरे उसकी नफरत इतनी बढ़ गई कि महेंद्र ने अपना लिया कि वह अब कभी मूमल से नहीं मिलेगा लेकिन बाद ही दुखदायक मूमल महेंद्र के इंतजार में महल के दरवाजे पर अपनी नजर बेचैन महेंद्र का इंतजार करती लेकिन महेंद्र उस दिन के बाद कभी भी लोडरवा नहीं पहुंचा और अपनी रानियां के साथ अमरकोट में समय व्यतीत करने लगा अब धीरे-धीरे समय बीतता है और मूमल की इसी चिंता की चलती उसकी खूबसूरती निहाल होती गई राजकुमार महेंद्र को खत भेजे लेकिन यह खत कभी महेंद्र तक पहुंची नहीं पाए यह खत महेंद्र की रानियां तक की सीमित हो गए सबर की सीमा टूट जाती है

इसी के चलते राजकुमारी मूमल अपने कुछ सेवकों के साथ को अमरकोट की ओर प्रस्थान करती है महेंद्र से मिलने के लिए और अब मूमल अमरकोट महेंद्र के महल के बाहर पहुंच जाती है और अपना पैगाम महेंद्र तक पहुंचती है लोद्रवा की राजकुमारी मूमल उनसे मिलने खुद आई है महेंद्र तक यह पैगाम पहुंची है लेकिन महेंद्र अभी भी मूमल से नाराज था जिसके चलते महेंद्र पैगाम भिजवाता है कि महेंद्र का स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह राजकुमारी मूमल से नहीं मिल सकता है जिस कारण राजकुमारी मूमल रात्रि कालीन विश्राम वही अमरकोट में करती है और अगली सुबह मूमल फिर पैगाम भिजवाती है कि महेंद्र का स्वास्थ्य अब कैसा है क्या वह अब मुझे मिल सकते हैं लेकिन मना कर दिया जाता है लेकिन मूमल वहीं पर डेरा जमाई बैठ जाती है और हर रोज महेंद्र तक मिलने का पैगाम भिजवाती और उसके बाद मूम को लगा कि मेरे हर पैगाम का जवाब ना में आ रहा है

अब मूमल अपनी बात व्यक्त करने के लिए गाने वाले संदेशवाहकों का सहारा लेती है और यह संदेशवाहकों मूमल का संदेश लेकर महेंद्र तक पहुंचाते हैं मूमल मेरी इतनी प्रतीक्षा कर रही है तो हो सकता है मूमल सच्ची हो और इसी के चलते महेंद्र की भी अब मूमल से मिलने की इच्छा होती है महेंद्र मूमल की आखिरी परीक्षा लेना चाहता है महेंद्र अपने एक दरबारी को बुलाता है और मूमल तक एक पैगाम भिजवाता है महेंद्र दरबारी से कहता है कि तुम राजकुमारी मूमल को जाकर बोलो की रात को महेंद्र को काले नाग में डस लिया है जिसके चलते महेंद्र की मृत्यु हो गई है और अब अगली ही सुबह महेंद्र का दरबारी भाग कर उसे स्थान पर पहुंचता है जहां पर मूमल डेरा लगाए बैठी थी और दरबारी मूमल से रोते हुए कहता है की बड़ी ही दुख भरी खबर है कि कल रात राजकुमार महेंद्र को काले नाग ने डस लिया है जिस कारण राजकुमार महेंद्र की मृत्यु हो गई यह बात सुनते ही राजकुमारी मूमलजमीन पर गिर जाती है और राजकुमारी मूमल को यह खबर सुनकर इतना बड़ा धक्का लगता है की राजकुमारी मूमल वहीं पर अपनी प्राण त्याग देती है आसपास खड़े लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं और इसके बाद जब महेंद्र तक यह खबर पहुंचती है की राजकुमारी मूमल जो आपसे इतना प्रेम करती थी उसको जब आपकी मौत की खबर लगी तो वहीं पर उसने अपने प्राण त्याग दिए यह खबर सुनकर राजकुमार महेंद्र को भी सदमा लगता है राजकुमार महेंद्र भी मूमल के लिए पागल हो जाता है और पागल होने के कारण कुछ ही समय में राजकुमार महेंद्र भी मूमल की याद में अपने प्राण त्याग देता है
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